आर्मी के सबसे वफादार दोस्त होते हैं कुत्ते जो हमेशा उनक साथ हर लड़ाई और जंग में खड़े रहते हैं. लेकिन जब यही कुत्ते भारतीय सेना से रिटायर हो जाते हैं तो उन्हें गोली मार दी जाती थी या इच्छामृत्यु दी जाती थी. पहले चोट या बीमारी के कारण रिटायर हुए कुत्तों के साथ ऐसा ही किया जाता था, जब तक कि उन्होंने वीरता पुरस्कार नहीं जीते हों, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
डॉग्स रिटायर होने के बाद भी जिंदगी जी सकेंगे
आर्मी डॉग्स रिटायर होने के बाद भी जिंदगी जी सकेंगे और इसके बाद वो ओल्ड-एज होम में रह सकेंगे जिसे कुछ समय पहले सरकार ने आर्मी डॉग्स के लिए खोला है. एक आर्मी अफसर ने बताया कि अब ऐसा नहीं होगा, सभी सर्विस डॉग्स को रिटायर होने के बाद भी पहले की ही तरह प्यार मिलता रहेगा.
इन कुत्तों को अडॉप्ट भी कर सकते हैं
इसके साथ ही कुछ खास कुत्तों के निलामी में रखा जाएगा, ताकि जो लोग इनसे जुड़ाव महसूस करते हैं और इनका (कुत्तों का) खर्च उठाने में जिन्हें परेशानी नहीं होगी वो इन्हें अडॉप्ट कर सकते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया था, जिसके बाद यह ओल्ड-ऐज होम कुछ समय पहले मेरठ के वॉर डॉग ट्रेनिंग स्कूल में स्थापित किया गया है.
आर्मी में 1 हजार से ज्यादा कुत्ते हैं
आर्मी में 1 हजार से ज्यादा कुत्ते हैं जिनमें सबसे ज्यादा संख्या लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन मैलिनॉयस हैं. अवॉर्ड जीतने वाले कुत्तों को हम महीने 15,000 से लेकर 20,000 रुपये प्रति महीने दिया जाता है जिसे उनके खाने से लेकर सेहत तक पर खर्च किया जा सकता है…Next
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