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अन्ना से निर्भया तक, इन बड़े आंदोलनों का गवाह बना जंतर-मंतर अब हो जाएगा खामोश!

देश में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो, जिसने जंतर मंतर का नाम न सुना हो. लोग इसे धरने प्रदर्शन की जगह के तौर पर जानते हैं। हर रोज होने वाले धरने-प्रदर्शनों के कारण यह स्थान धरना स्थल बन गया है। संसद भवन के नजदीक होने की वजह से हर कोई यहां अपनी आवाज बुलंद करना चाहता है, ताकि देश के नीति निर्माताओं तक वह आवाज पहुंच सके। यह देश के कई बडे आंदोलन का गवाह बना है। लेकिन जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वालों के लिए बुरी खबर है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार को इस सम्बन्ध में निर्देशित करते हुए आदेश दिया है कि, जंतर-मंतर इलाके में चल रहे सभी धरना-प्रदर्शन और लोगों के जमा होने पर शीघ्र रोक लगाई जाये।


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जानें क्यों लग रही है जंतर-मंतर परप्रदर्शन पर रोक

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आज दिल्ली सरकार को आदेश देते हुए कहा कि जंतर-मंतर इलाके में चल रहे सभी धरने-प्रदर्शन और लोगों का जमा होना तुरंत रोका जाए। न्यायमूर्ति आरएस राठौर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार, एनडीएमसी और दिल्ली के पुलिस आयुक्त जंतर-मंतर पर धरना, प्रदर्शन, आंदोलनों, लोगों के इकट्टा होने, लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल आदि को तुरन्त रोकें। इसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शांतिपूर्ण और आरामदायक ढंग से रहने का अधिकार है और उनके आवासों पर प्रदूषण मुक्त वातावरण होना चाहिए।


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अब रामलीला मैदान में होगा प्रदर्शन

अधिकरण ने प्रदर्शनकारियों, आंदोलनकारियों और धरने पर बैठे लोगों को वैकल्पिक स्थल के रूप में अजमेरी गेट में स्थित रामलीला मैदान में तुरन्तस्थानांतरित करने के अधिकारियों को निर्देश दिए। एनजीटी का कहना है कि जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शनों से ध्वनि प्रदूषण होता है।



इन जन आंदोलनो का गवाह रहा है जंतर मंतर

1. जस्टिस फॉर निर्भया

16 दिसंबर 2012 दिल्ली की दमान पर एक ऐसा दाग जो शायद कभी नहीं धूल पाएगा। इस रेप केस ने पूरी दिल्ली और पूरे भारत को हिला कर रख दिया था। जब ये मामला मीडिया में आया उसके बाद लोगो ने कई महीनों तक जंतर मंतर पर निर्भया के लिए लड़ते रहे और उसकी याद में कैंडल मार्च निकालते रहे। लोगों के इस गुस्से की वजह से रेप के आरोपियो पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत मुकदमा चला था, हालांकि अब भी इसांफ का इंतजार है।



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2. जनलोकपाल आंदोलन में फूंकी जान

देश से भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए जनलोकपाल कानून बनाने की डिमांड को लेकर साल 2011 में आंदोलन हुआ था। यह आंदोलन समाजसेवी अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर किया था। इसे जनता भरपूर समर्थन मिला और इसके बाद जनलोकपाल के समर्थन में देश के कोने कोने से आवाजें उठने लगीं। इसके बाद रामलीला मैदान में भी आंदोलन हुआ, जहां हजारों लोग एकजुट हुए। हालांकि टीम अन्ना टूटने की वजह से यह आंदोलन ठंडा पड गया।



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3. वन रैंक वन पेंशन

वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर जून, 2015 में पूर्व सैनिकों ने आंदोलन शुरू किया था। सैनिकों ने अपने मैडल तक वापस देने को तैयार थे। यहीं सैनिक भूख हड़ताल पर बैठे, जंतर पर आंदोलन शुरू करने के बाद देश के कोने कोने में पूर्व सैनिकों ने आवाज बुलंद की। इससे सरकार को सैनिकों की मांगें मानने पर मजबूर होना पडा। हालांकि कुछ सैनिक इससे बहुत खुश नहीं थे।



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4. रामसेतु बचाने को आंदोलन


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भारत और श्रीलंका के बीच की जगह जिसे एडम ब्रिज का नाम दिया गया को हटाने के फैसले के बाद देश में रामसेतु आंदोलन हुआ है। साल 2007 में यह जंतर मंतर पर भी हुआ, इसमें हजारों की तादाद में लोग इकटठे हुए। यूपीए सरकार से बीजेपी और हिंदू संगठनों ने इसे न तोडने की डिमांड की गई। यह आंदोलन देश के कोने कोने तक गया था।…Next



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