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2G घोटाला: जानें 2007 से 2017 तक कब क्‍या हुआ

आजाद भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला माने जाने वाले 2G स्कैम मामले में आज यानी गुरुवार को विशेष अदालत के फैसले का सभी को इंतजार है। मामले में सीबीआई के 80,000 पेज की चार्जशीट और लंबी सुनवाई के बाद आज फैसला सुनाया जा सकता है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी टूजी घोटाले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज अलग-अलग मामलों में फैसले सुना सकते हैं। इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए. राजा, डीएमके नेता करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा सांसद कनिमोझी, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी), यूनिटेक लिमिटेड, डीबी रीयल्टी व अन्य पर आरोप हैं। आइए आपको बताते हैं कि इस मामले में कब क्‍या हुआ और किस तरह मामले का खुलासा हुआ।


2G


16 मई 2007 को ए. राजा टेलीकॉम मिनिस्टर बने।


अगस्त 2007 में टेलीकॉम विभाग ने 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन का काम शुरू किया।


2 नवंबर 2007 को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने राजा को चिट्ठी लिखकर आवंटन में पारदर्शिता बरतने और फीस का ठीक से रिव्यू करने को कहा। राजा ने पीएम को चिट्ठी लिखकर कहा कि मेरी कई सिफारिशों को खारिज कर दिया गया है।


22 नवंबर 2007 को वित्त मंत्रालय ने टेलीकॉम विभाग को चिट्ठी लिखकर लाइसेंस देने के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया पर अपनी चिंताओं से अवगत करवाया।


10 जनवरी, 2008 को टेलीकॉम विभाग ने लाइसेंस देने के लिए ‘पहले आओ-पहले पाओ’ की नीति अपनाई और इसके लिए कटऑफ की तारीख 25 सितंबर तक बढ़ा दी गई।


4 मई, 2009 को एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) में 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में अनियमितता की शिकायत की।


21 अक्टूबर, 2009 को सीबीआई ने टेलीकॉम विभाग के अज्ञात अफसरों और अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज किया।


10 नवंबर, 2010 को कैग ने भारत सरकार को 2जी आवंटन मामले में अपनी रिपोर्ट दी और कहा कि इस मामले में 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


a-raja


17-18 फरवरी, 2011 को डी राजा को न्यायिक हिरासत में भेजा गया।


14 मार्च, 2011 को इस मामले की सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने विशेष अदालत का गठन किया।


2 अप्रैल, 2011 को सीबीआई ने मामले में चार्जशीट दाखिल की।


25 अप्रैल, 2011 को सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट दाखिल की, जिसमें डीएमके नेता कनिमोझी का भी नाम शामिल था।


11 नवंबर, 2011 को विशेष अदालत में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई।


12 दिसंबर, 2011 को सीबीआई ने तीसरी चार्जशीट दाखिल की।


2 फरवरी, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने राजा के कार्यकाल में हुए 2जी लाइसेंस के आवंटनों को रद्द करके 4 महीने के भीतर लाइसेंस के लिए फिर से निविदा मंगवाने को कहा।


1 जून, 2015 को ईडी ने कहा कि कलईगनर टीवी को 2जी आवंटन से 200 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा है।


19 अप्रैल, 2017 को इस केस की सुनवाई खत्म हुई


21 दिसंबर 2017 को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के पहले मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपी तीनों मामलों में बरी…Next


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